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RISHI PANCHMI क्या है ओर क्यो मनाई जाती है ?
RISHI PANCHMI एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो विशेष रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। यह पर्व गणेश चतुर्थी के अगले दिन यानि भाद्रपद शुक्ल पंचमी के दिन आता है। RISHI PANCHMI का मुख्य उद्देश्य जो कि सप्तऋषियों को समर्पित है इस दिन सप्त ऋषि की पूजा करने के साथ व्रत भी रखा जाता है ओर ऋषियों के प्रति श्रद्धा प्रकट करना और उनके द्वारा समाज में दिए गए योगदानों को याद करना है। यह पर्व धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
RISHI PANCHMI 2024
RISHI PANCHMI का सीधा संबंध सनातन धर्म के उन महान ऋषियों से है जिन्होंने वेद, उपनिषद और अन्य धार्मिक ग्रंथों की रचना की। इस दिन, विशेष रूप से महिलाएं, ऋषियों की पूजा करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, RISHI PANCHMI पर महिलाओं को अपने पिछले जन्म के दोषों और इस जन्म के अपवित्रताओं से मुक्त होने का अवसर मिलता है।ऋषि पंचमी को गुरु पंचमी और भाई पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन जो भी बहन रक्षाबंधन को अपने भाई को राखी नहीं बांध सकी वह इस दिन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांध सकती हैं।
ऋषि पंचमी की कथा
RISHI PANCHMI के पीछे एक महत्वपूर्ण पौराणिक कथा है। कहा जाता है कि एक समय एक ब्राह्मण महिला ने ऋषि पंचमी का व्रत नहीं किया था और उसने मासिक धर्म के दौरान कुछ धार्मिक कृत्य किए थे। इसके परिणामस्वरूप, उसे अगले जन्म में अत्यधिक कष्टों का सामना करना पड़ा। उस महिला के पति ने तपस्या कर ऋषियों से इसका समाधान पूछा। तब ऋषियों ने कहा कि यदि कोई महिला ऋषि पंचमी का व्रत करती है और शुद्ध होकर ऋषियों की पूजा करती है, तो वह पाप मुक्त हो सकती है।
मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजन करने से सप्तऋषियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही यह भी मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। इसी लिए महिलाओं के लिए यह व्रत काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।
RISHI PANCHMI पुजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी, तालाब या घर पर गंगा जल मिले जल से स्नान करे ओर स्नान के बाद शुद्ध वस्त्र धारण करे। उसके बाद पूजा घर को गाय के गोबर से लीपें और यहां सप्तऋषि(वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, गौतम, जमदग्नि और विश्वामित्र) और देवी अरूंधती की मूर्ति या तस्वीर रखे।ऋषियों की मूर्तियों को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से स्नान कराया जाता है। यह अभिषेक बहुत ही शुभ माना जाता है।इसके बाद उन्हें फल, फूल, रोली, अक्षत और धूप-दीप अर्पित करे । इसके बाद इस जगह पर कलश की स्थापना करें। स्थापना होने के बाद हल्दी, कुमकुम ,चंदन, पुष्प, चावल से कलश की पूजा करें।अंत में ऋषि पंचमी की कथा को सुनने के बाद सात ब्रामहन को सप्तऋषि मानकर भोजन कराएं। भोजन के बाद उन्हें दक्षिणा दें और पूजा होने के बाद गाय को भी भोजन कराएं।
RISHI PANCHMI के लाभ
ऋषि पंचमी के दिन सप्तऋषि यानी ऋषि कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, वशिष्ठ, गौतम, जमदग्नि और विश्वामित्र की पूजा की जाती है। ये सात ऋषि ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अंश माने जाते हैं। इस व्रत को करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और माना जाता है की हमारे घर ओर जीवन में सुख-शांति आती है। इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति अपने पिछले जन्मों में किए गए पापों का कष्ट इस जन्म में भोग रहा है, तो यह व्रत करने से उन पापों से मुक्ति मिल जाती है।यह व्रत केवल स्त्रियों के लिए ही नहीं, बल्कि पुरुषों के लिए भी लाभकारी है, क्योंकि यह ऋषियों के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने का दिन है।